manava dharma (In Hindi)

मनुष्य जीवन का ध्येय क्या है? इंसान पैदा होता है तबसे ही संसार चक्र में फँसकर लोगो के कहे अनुसार करता है| स्कूल-कॉलेज की पढाई करता है, नौकरी या धंधा करता है, शादी करके बच्चे पैदा करता है, और बूढ़े होने पर मर जाता है| तो क्या यही हमारे जीवन का मूल उद्शेय है? परम पूज्य दादाभगवान, मनुष्य जन्म को ४ गतियों का जंक्शन बताते है जहाँसे, देवगति, जानवरगति या नर्कगति में जाने का रास्ता खुला होता है|जिस प्रकार के बीज डाले हो और जिन कारणों का सेवन किया हो, उस गति में आगे जाना पड़ता है| तो, इन फेरो से आखिर हमें मुक्ति कब मिलेगी? दादाजी बताते है कि, मानवता या ‘मानवधर्म’ की सबसे बड़ी परिभाषा ही यह है कि, अगर कोई तुम्हें दुःख दे और तुम्हें अच्छा ना लगे, तो दूसरों के साथ भी ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए| अगले जन्म में अगर नर्कगति या जानवर गति में नहीं जाना हो तो, मानवधर्म का हमेशा ही पालन करना चाहिए| इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, यह किताब पढ़े और अपना मनुष्यजीवन सार्थक बनाइये|

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मनुष्य जीवन का ध्येय क्या है? इंसान पैदा होता है तबसे ही संसार चक्र में फँसकर लोगो के कहे अनुसार करता है| स्कूल-कॉलेज की पढाई करता है, नौकरी या धंधा करता है, शादी करके बच्चे पैदा करता है, और बूढ़े होने पर मर जाता है| तो क्या यही हमारे जीवन का मूल उद्शेय है? परम पूज्य दादाभगवान, मनुष्य जन्म को ४ गतियों का जंक्शन बताते है जहाँसे, देवगति, जानवरगति या नर्कगति में जाने का रास्ता खुला होता है|जिस प्रकार के बीज डाले हो और जिन कारणों का सेवन किया हो, उस गति में आगे जाना पड़ता है| तो, इन फेरो से आखिर हमें मुक्ति कब मिलेगी? दादाजी बताते है कि, मानवता या ‘मानवधर्म’ की सबसे बड़ी परिभाषा ही यह है कि, अगर कोई तुम्हें दुःख दे और तुम्हें अच्छा ना लगे, तो दूसरों के साथ भी ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए| अगले जन्म में अगर नर्कगति या जानवर गति में नहीं जाना हो तो, मानवधर्म का हमेशा ही पालन करना चाहिए| इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, यह किताब पढ़े और अपना मनुष्यजीवन सार्थक बनाइये|

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मनुष्य जीवन का ध्येय क्या है? इंसान पैदा होता है तबसे ही संसार चक्र में फँसकर लोगो के कहे अनुसार करता है| स्कूल-कॉलेज की पढाई करता है, नौकरी या धंधा करता है, शादी करके बच्चे पैदा करता है, और बूढ़े होने पर मर जाता है| तो क्या यही हमारे जीवन का मूल उद्शेय है? परम पूज्य दादाभगवान, मनुष्य जन्म को ४ गतियों का जंक्शन बताते है जहाँसे, देवगति, जानवरगति या नर्कगति में जाने का रास्ता खुला होता है|जिस प्रकार के बीज डाले हो और जिन कारणों का सेवन किया हो, उस गति में आगे जाना पड़ता है| तो, इन फेरो से आखिर हमें मुक्ति कब मिलेगी? दादाजी बताते है कि, मानवता या ‘मानवधर्म’ की सबसे बड़ी परिभाषा ही यह है कि, अगर कोई तुम्हें दुःख दे और तुम्हें अच्छा ना लगे, तो दूसरों के साथ भी ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए| अगले जन्म में अगर नर्कगति या जानवर गति में नहीं जाना हो तो, मानवधर्म का हमेशा ही पालन करना चाहिए| इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, यह किताब पढ़े और अपना मनुष्यजीवन सार्थक बनाइये|


Product Details

BN ID: 2940153887227
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust
Publication date: 11/28/2016
Sold by: Smashwords
Format: eBook
File size: 429 KB
Language: Hindi

About the Author

Dr. Niruben Amin, lovingly addressed as 'Niruma', was a prominent disciple of the Gnani Purush Ambalal Patel also known as Param Pujya 'Dada Bhagwan' or 'Dadashri'. Under his guidance, she too became an accomplished spiritual master who carried on his work of introducing people to the phenomenal science of Akram Vignan. Through selfless service, she has been instrumental in liberating thousands of people, throughout the world by gracing them with satsangs and Self Realization.

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